छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में युवती को उसकी हमउम्र सहेली के साथ रहने की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा है कि बालिग होने के कारण युवती जहां चाहे वहां अपनी मर्जी से रहने के लिए आजाद है।
मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर निवासी नेहा सिंघानिया की गोंदिया की खुशबू जायसवाल से बचपन से दोस्ती थी। बाद में नेहा के पिता के रायपुर में बस जाने पर भी दोनों सहेलियां के जरिए संपर्क में थीं। नेहा रायपुर में कोरियोग्राफर का कोर्स भी कर रही थी। अचानक कुछ माह पूर्व खुशबू ने उसको पत्र लिखकर बताया कि उसे उसके माता-पिता लगभग कैद कर रखे हुए है और वह अब अपने माता-पिता के साथ नहीं बल्कि उसके साथ रहना चाहती है।
पत्र मिलते ही नेहा ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की। सुनवाई के बाद अदालत ने मार्च 2011 में खुशबू के माता-पिता और रायपुर व गोंदिया के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया। नोटिस के बाद भी न तो जवाब प्रस्तुत हुआ और न ही युवती को हाजिर किया गया।
बाद में प्रशानिक दबाव पड़ने पर खुशबू के माता-पिता अदालत में पेश हुए। पुलिस ने खुशबू को भी न्यायालय में पेश किया। जस्टिस धीरेन्द्र मिश्रा और जस्टिस रंगनाथ चंदाकर की युगल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि युवती बालिग है। इसलिए वह जहां चाहे वहां अपनी मर्जी से रहने के लिए आजाद है।
Source:- http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8058721.cms 22 Apr 2011, 2032 hrs IST,भाषा
For any query:-legalbuddy@gmail.com
मिली जानकारी के मुताबिक रायपुर निवासी नेहा सिंघानिया की गोंदिया की खुशबू जायसवाल से बचपन से दोस्ती थी। बाद में नेहा के पिता के रायपुर में बस जाने पर भी दोनों सहेलियां के जरिए संपर्क में थीं। नेहा रायपुर में कोरियोग्राफर का कोर्स भी कर रही थी। अचानक कुछ माह पूर्व खुशबू ने उसको पत्र लिखकर बताया कि उसे उसके माता-पिता लगभग कैद कर रखे हुए है और वह अब अपने माता-पिता के साथ नहीं बल्कि उसके साथ रहना चाहती है।
पत्र मिलते ही नेहा ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की। सुनवाई के बाद अदालत ने मार्च 2011 में खुशबू के माता-पिता और रायपुर व गोंदिया के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया। नोटिस के बाद भी न तो जवाब प्रस्तुत हुआ और न ही युवती को हाजिर किया गया।
बाद में प्रशानिक दबाव पड़ने पर खुशबू के माता-पिता अदालत में पेश हुए। पुलिस ने खुशबू को भी न्यायालय में पेश किया। जस्टिस धीरेन्द्र मिश्रा और जस्टिस रंगनाथ चंदाकर की युगल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि युवती बालिग है। इसलिए वह जहां चाहे वहां अपनी मर्जी से रहने के लिए आजाद है।
Source:- http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/8058721.cms 22 Apr 2011, 2032 hrs IST,भाषा
For any query:-legalbuddy@gmail.com
No comments:
Post a Comment