16 April, 2008

10 रुपये पर 9 साल सुनवाई, आरोप खारिज

पार्किन्ग चार्ज पांच रुपये के बजाय 10 रुपये मांगने के आरोपी प्रमोद को कोर्ट ने नौ साल चली सुनवाई के बाद आरोपमुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।

शिकायती के मुताबिक, वह 13 सितंबर 1999 को साकेत स्थित एक सिनेमा हॉल में रात 9:15 से 11 बजे तक का शो देखने गया था। उसने अपनी गाड़ी एमसीडी की पार्किन्ग में खड़ी थी। मूवी देखने के बाद वह अपनी गाड़ी लेने गया तो पार्किन्ग अटेंडेंट राजकुमार ने उससे 10 रुपये मांगे। शिकायतकर्ता के मुताबिक, उस वक्त पार्किन्ग का लीगल चार्ज सिर्फ पांच रुपये था। इस बात पर अटेंडेंट के साथ उसकी कहासुनी चल रही थी तभी वहां खुद को पार्किन्ग मैनेजर प्रमोद बता रहा शख्स आया। प्रमोद और राजकुमार ने उसके साथ अभद व्यवहार किया और धमकी दी।

शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि शारीरिक विकलांगता की वजह से वह वीलचेयर पर चलता है। इसके बावजूद उसके साथ बदतमीजी की गई। शिकायतकर्ता के मुताबिक, वहां खड़े एक पुलिस कॉन्स्टेबल शैलेंद्र सिंह ने अपनी ड्यूटी खत्म हो चुकने की बात कहकर उसकी मदद करने से इनकार कर दिया था।

इस बारे में मालवीय नगर थाने में प्रमोद और राज कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा- 506 (धमकी) और 418 (किसी को हानि पहुंचाने के लिए धोखाधड़ी करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की छानबीन के बाद पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी। पुलिस ने 11 दिसंबर 1999 को प्रमोद व राजकुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी।

चार्ज पर बहस के दौरान बचाव पक्ष के वकील किशन नौटियाल ने दलील दी कि जब पार्किन्ग चार्ज के लिए शिकायती के साथ पार्किन्ग अटेंडेंट की बहस चल रही थी तब प्रमोद मौके पर नहीं था। वह बाद में मौके पर आया। उन्होंने सवाल उठाया कि पुलिस ने इस मामले में वहां खड़े पुलिस कॉन्स्टेबल को गवाह क्यों नहीं बनाया। नौटियाल ने बताया कि इस बीच एक अभियुक्त राजकुमार की मौत हो चुकी है।

अदालत ने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता ने पार्किन्ग स्लिप भी जांच अधिकारी के हवाले कर दी थी। पार्किन्ग स्लिप में 12 घंटे तक के लिए कार का पार्किन्ग चार्ज 10 रुपये दर्ज है। ऐसे में अभियुक्त पर गया आरोप सही नहीं है। पुलिस ने भी स्लिप में दर्ज चार्ज पर कोई आपत्ति नहीं की है। शिकायती ने यह भी साफ तौर पर नहीं बताया कि अभियुक्त ने क्या धमकी दी थी। अदालत ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।
Source:- नवभारत टाइम्स, 16 Apr 2008, P. 3 New Delhi
With Thanks from the नवभारत टाइम्स

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