धर्मेद्र यादव
दिनेश मिगलानी मास्टर इन लॉ (एलएलएम) हैं और उसके छोटे भाई दीपक पेशे से वकील हैं और तीस हजारी कोर्ट (दिल्ली) में प्रेक्टिस करते हैं। पर, इनमें खास यह है कि दोनों सोशल नेटवर्किग के जरिये आनलाइन जागरूकता की मशाल से कानूनी अज्ञानता मिटाने की पहल में जुटे हुए हैं। करीब-करीब हर रोज 50 हजार लोगों के पास ई-मेल व फेसबुक से लीगल टिप्स भेजते हैं। दोनों भाइयों की राय है कि हमारे देश में कानून व वकील तो बनाए जाते हैं, लेकिन लोगों को कानूनी तौर पर जागरूक बनाने की दिशा में कायदे से पहल तक नहीं हुई है। ऐसे लोगों की संख्या अंगुलियों पर गिनने लायक है, जिन्हें अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी है। या इसे यूं भी कहा जा सकता है कि करोड़ों लोगों को कानूनी ज्ञान की एबीसीडी भी नहीं पता। उन्हें यह तक पता नहीं होता कि उनके हक क्या हैं। कानून की भाषा भी इतनी जटिल है कि वकीलों को ही मुश्किल आती है। उनका ध्यान इसी खाली स्थान पर गया और इस काम करने की योजना बनी। यह योजना तीन साल पहले लीगल प्वाइंट फाउंडेशन बनी और इस पर काम शुरू हुआ। शुरूआत एसएमएस व ई-मेल से हुई। थोड़ी सुस्ती के बाद लोग धड़ाधड़ जुड़ते चले गए। अब ई-मेल के जरिये लीगल टिप्स पाने वालों की तादाद 50 हजार हो गई है। साढे़ 16 सौ लोग उनकी फेस-बुक से जुड़े हैं। महीने भर पहले ट्विटर पर भी शुरूआत की गई है। अब तक पांच-छह लोग ही जुड़ पाए हैं। मिगलानी बंधु बताते हैं कि उनकी आनलाइन सोशल नेटवर्किग से देश के जाने-माने प्रोफेसर, पुलिस अधिकारी, कंपनियों के प्रबंधक, छात्र जुडे़ हैं। ब्राजील की डाक्टर मेरी मूलर से बराबर मेल का आदान-प्रदान होता है। इंडियन इंस्टीटयूट आफ ट्रेड से जुड़े प्रोफेसर जस्टिन पाल, कर्नल निर्भय कुमार, यूरोपियन कमीशन से जुड़ीं शरत, ऐसे कई नाम हैं, जिनसे कानून से जुड़ी जानकारियों का आदान-प्रदान होता है। फाउंडेशन के सचिव दिनेश का कहना है कि इस साल तक एक लाख लोगों तक नियमित लीगल टिप्स भिजवाने का लक्ष्य रखा है। हाईकोर्टो व सुप्रीम कोर्ट के विशेष फैसले भी वे आनलाइन पूरे देश में विस्तारित किया जाता है। क्या होता है लीगल टिप्स में लीगल टिप्स के माध्यम से नए बने कानून, कोर्ट के फैसलों के अलावा पुराने कानून की आसान भाषा में व्याख्या भेजी जाती हैं। फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक मिगलानी ने बताया कि महिला प्रताड़ना और कंपनी से जुड़े नियम-कानून के अलावा एफआईआर, गिरफ्तारी आदि के बारे में छोटी-बड़ी कानूनी जानकारी नियमित तौर पर आनलाइन भेजी जाती है। मकसद यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोग कानूनी तौर पर साक्षर बनें और जब वे जानकार होंगे तो उन्हें कोई बरगला भी नहीं सकेगा।
Source:-http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2010-08-04&pageno=6
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1 comment:
Dear Miglaniji, you are doing a very good work !! thank you very much !
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