एक ऐतिहासिक फैसले में केरल उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि कानूनी विवाह से उत्पन्न हुए बच्चों के साथ ही अवैध बच्चे भी पैतृक संपत्ति के हकदार हैं। अदालत ने केन्द सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह धर्म का भेदभाव किए बिना सभी अवैध संतानों को पैतृक संपत्ति में हक दिलवाने के लिए कानून बनाए। यह कानून आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 (पत्नी और बच्चों के लिए गुजारा भत्ता) की तर्ज पर होना चाहिए। जस्टिस सी रामचन्दन नायर और जस्टिस एम.सी. हरिरानी की खंडपीठ ने यह आदेश मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ दायर की गई एक अपील पर सुनाया। न्यायाधिकरण ने सड़क हादसे में मारे गए 36 वर्षीय डॉक्टर की वैध और अवैध संतानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था। न्यायाधिकरण के आदेश को उचित ठहराते हुए खंडपीठ ने कहा कि सभी अवैध संतानें ऐसे पुरुष और स्त्री के बच्चे होते हैं जो कुछ समय साथ रहे और वास्तव में उन्हें हर मामले में पति पत्नी माना जा सकता है।
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