02 October, 2008

ससुराल पर नहीं विवाहिता का हक

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम व्यवस्था देते हुए कहा है कि एक विवाहिता का अपने पति की संपत्ति पर तो हक हो सकता है, लेकिन वह ससुराल में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकती। इस फैसले से उन बहुओं को निराशा हो सकती है, जिनकी नजर ससुराल की संपत्ति पर है।
नीतू मित्तल की एक याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस शिवनारायण ढींगरा ने बुधवार को कहा,‘शादीशुदा महिला पति से बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांग सकती है। पति की जायदाद में हिस्सेदारी के लिए भी वह दावा कर सकती है,लेकिन अपने सास-ससुर की सहमति के बगैर ससुराल में रहने का हक नहीं मांग सकती।’इस मामले में नीतू के खिलाफ अस्थाई आदेश जारी किया था। इसके बाद नीतू ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में अपील की थी कि बहू होने के नाते उसे ससुराल में रहने का पूरा हक है।
सुप्रीम कोर्ट भी सहमत
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की कई बहुओं द्वारा अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ दर्ज कराए गए प्रताड़ना के आपराधिक मामलों को खारिज कर दिया था। शीर्ष कोर्ट ने कहा था,‘विवाहिता का भरण-पोषण पति का व्यक्तिगत कत्र्तव्य है।
क्या था मामला : मई 2005 में नीतू के सास-ससुर ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनकी बहू पारिवारिक मामलों में दखलंदाजी कर उन्हें परेशान करती है। इस पर निचली कोर्ट ने नीतू को नीतू को एक अन्य मकान में रहने को कहा था।
Source:- Danik Bhaskar 2 Oct 2008

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