मद्रास हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में अपहरण और बलात्कार के बाद प्रेगनंट हुई 12 वर्षीय एक बलिका को अबॉर्शन कराने की अनुमति दे दी है।
जस्टिस के. मोहन राम ने नबालिग लड़की के पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका पर यह अनुमति दी है। पीड़ित के पिता ने कोर्ट से अबॉर्शन कराने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया था क्योंकि बच्ची मात्र 12 साल की है और बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है। जस्टिस ने वेल्लोर जिला निवासी याचिकाकर्ता को सहयोग के लिए मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक और वनियांबडी थाने के इंस्पेक्टर से संपर्क करने को कहा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि गत 14 मई को जब उसकी बेटी दुकान से सामान लाने गई थी तभी उसके एक पड़ोसी मुरगन ने उसका अपहरण कर लिया था। उसकी शिकायत पर गत 24 सितंबर को मुरगन को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया और बच्ची को उसके कब्जे से मुक्त कराया गया। बाद में हुई मेडिकल जांच में पता चला कि बच्ची प्रेगनंट है और भ्रूण 12 सप्ताह का है। इसके बाद उन्होंने अबॉर्शन के लिए स्थानीय हॉस्पिटल में संपर्क किया लेकिन हॉस्पिटल अडमिनिस्ट्रेशन ने इससे मना कर दिया। इस संबंध में जब पुलिस से संपर्क किया गया तो उसने भी लाचारी जताई और कानूनी सहायता लेने की सलाह दी।
Source:- 24 Oct 2008, Navbharat Times
जस्टिस के. मोहन राम ने नबालिग लड़की के पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका पर यह अनुमति दी है। पीड़ित के पिता ने कोर्ट से अबॉर्शन कराने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया था क्योंकि बच्ची मात्र 12 साल की है और बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है। जस्टिस ने वेल्लोर जिला निवासी याचिकाकर्ता को सहयोग के लिए मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक और वनियांबडी थाने के इंस्पेक्टर से संपर्क करने को कहा। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि गत 14 मई को जब उसकी बेटी दुकान से सामान लाने गई थी तभी उसके एक पड़ोसी मुरगन ने उसका अपहरण कर लिया था। उसकी शिकायत पर गत 24 सितंबर को मुरगन को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया और बच्ची को उसके कब्जे से मुक्त कराया गया। बाद में हुई मेडिकल जांच में पता चला कि बच्ची प्रेगनंट है और भ्रूण 12 सप्ताह का है। इसके बाद उन्होंने अबॉर्शन के लिए स्थानीय हॉस्पिटल में संपर्क किया लेकिन हॉस्पिटल अडमिनिस्ट्रेशन ने इससे मना कर दिया। इस संबंध में जब पुलिस से संपर्क किया गया तो उसने भी लाचारी जताई और कानूनी सहायता लेने की सलाह दी।
Source:- 24 Oct 2008, Navbharat Times
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