21 May, 2008

ऑपरेशन के बाद हुआ बच्चा, मुआवजा देगी सरकार

23 साल पहले एक महिला ने फैमिली प्लानिंग के लिए ऑपरेशन कराया। लेकिन ऑपरेशन नाकाम रहा और वह गर्भवती हो गई। उसने एमसीडी अस्पताल के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इस महिला को बतौर मुआवजा एक लाख रुपये का भुगतान करे। दिलचस्प बात यह है कि ऑपरेशन के बाद महिला को जो बच्चा हुआ, वह 21 साल का हो चुका है।
अडिशनल जिला जज कामिनी लॉ की अदालत ने फैसले में कहा कि अनचाहे गर्भधारण के कारण पैदा हुआ बच्चा (अब बालिग) यह न सोचे कि उसे अदालत यह कह रही है कि वह गलती से दुनिया में आ गया। लेकिन इतना तय है कि ऑपरेशन के बावजूद गर्भवती होने और बच्चा पैदा होने से महिला पर आर्थिक भार पड़ा। बच्चा जब तक बालिग हुआ तब तक पैरंट्स ने उसके खर्चे उठाएं हैं। पैरंट्स लोअर मिडल क्लास से ताल्लुक रखते हैं। बच्चे के लालन-पालन में पैरंट्स ने कुल 86 हजार रुपये खर्च किए हैं। गर्भधारण के कारण उन्हें दूसरी तकलीफों का भी सामना करना पड़ा। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह महिला को अर्जी दाखिल किए जाने की तारीख से लेकर भुगतान की तारीख तक 10 फीसदी ब्याज के साथ बतौर मुआवजा एक लाख रुपये अदा करे।
जज कामिनी लॉ ने कहा कि महिला का सरकारी अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन हुआ। इसके बावजूद उसे बच्चा हो गया। ऐसे में सरकार इस बच्चे की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। शिकायती के बयान से साफ है कि बच्चे की पढ़ाई आदि में हर महीने उसके 400 से 500 रुपये खर्च हुए हैं।
इसके पहले महिला ने अपनी अर्जी में कहा कि मैं अपने पति और तीन बच्चों के साथ सोनीपत में रहती हूं और लोअर मिडल क्लास फैमिली से हूं। सरकार ने छोटे परिवार का नारा दिया था। इसलिए मैंने सोचा कि दो बच्चों के बाद फैमिली प्लानिंग का ऑपरेशन करा लूं। मैं एमसीडी के अजमेरी गेट स्थित अस्पताल में गई, जहां 4 मार्च 1985 को स्टेरलाइजेशन (फैमिली प्लानिंग से संबंधित ऑपरेशन) किया गया। इस बाबत सर्टिफिकेट भी दिया गया। महिला ने कहा- बाद में मुझे लगा कि फिर से गर्भवती हो गई। इसके बाद जब अस्पताल गई, तो डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया और लापरवाही दिखाई।
28 अगस्त 1987 को इस महिला ने एक लड़के को जन्म दिया। उसने अप्रैल 1989 में इस अस्पताल के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया और मुआवजे की मांग की। ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई के बाद एमसीडी अस्पताल को निर्देश दिया कि वह बतौर मुआवजा महिला को 10 हजार रुपये का भुगतान करे। महिला ने अडिशनल जिला जज की अदालत में अपील कर मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की। अस्पताल ने भी ट्रायल कोर्ट के ऑर्डर को चुनौती दी।
Source:- नवभारत टाइम्स 20 May 2008 Delhi
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