28 April, 2008

महिला ने पूछा, कौन बताएगा क्लिंटन भैया का पता?

नई दिल्ली: ' सूचना के अधिकार कानून' के तहत यदि कोई यह सवाल करे कि सरकार ने कब, कहां, कौन-सा विकास कार्य किया या किस विभाग में कौन-सा कार्य कितने समय से लंबित है, तो सवालों का जवाब देने में अधिकारियों को ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। लेकिन यदि कोई कहे कि मुझे बिल क्लिंटन को अपना भाई मानकर राखी और मिठाई भेजनी थी। लेकिन डाकघर ने उनका पता क्यों नहीं दिया तो इसका जवाब ढूंढने में सिर धुनने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को यह दिलचस्प आवेदन एक महिला का प्राप्त हुआ है। महिला ने अपने मानवाधिकार हनन की बात कही है। महिला का कहना है कि वह अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बिल क्लिंटन को अपना भाई मानती हैं और उन्हें राखी के साथ मिठाई भेजना चाहती थीं। वह इस काम के लिए डाकघर गईं। लेकिन डाकघर वालों ने उन्हें पता नहीं बताया और वापस भेज दिया। महिला की पुकार है कि इस तरह उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है और वह आरटीआई दाखिल करके यह जानना चाहती हैं कि आखिर उसके साथ हुई इस नाइंसाफी पर मानवाधिकार आयोग ने क्या कार्रवाई की है।
आयोग के सूत्र बताते हैं कि यहां इस तरह के आवेदनों का ढेर लगा हुआ है। लोग इन आवेदनों पर आयोग में आरटीआई दाखिल कर की गई कार्रवाई का ब्योरा भी मांगते हैं। भ्रष्टाचार निर्मूलन समिति की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को और एक आवेदन प्राप्त हुआ है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्र के कल्याण के लिए श्री सहस्त्र चंडी यज्ञ किया गया था और इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी सहित तमाम मंत्रियों और राजनेताओं को बुलाया गया था। समिति ने सूचना के अधिकार कानून के तहत यह जानकारी मांगी है कि राष्ट्र कल्याण के लिए कराए गए इस यज्ञ में यह राजनेता आखिर क्यों शामिल नहीं हुए?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सूत्रों के अनुसार लोग सूचना के अधिकार कानून के तहत भारी संख्या में आरटीआई दाखिल कर रहे हैं और ज्यादातर मामलों में ऐसी जानकारी मांगी जाती है जिसका प्रशासन के कामकाज और आम आदमी के हित से कुछ लेना देना नहीं होता। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आम आदमी को सूचना का अधिकार दिया गया था, ताकि इसके जरिए प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाया जा सके।
आलम यह है कि लोग इस कानून का सहारा लेकर हर बात को सवालों के घेरे में लाने लगे हैं। एक अन्य आवेदन में समिति ने कहा है कि देश में भ्रष्टाचार, अपराध, आतंकवाद और मानवाधिकार हनन जैसी बीमारियां फैली हुई हैं और कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका इस संबंध में कुछ खास नहीं कर पा रही हैं। इससे भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है। लिहाजा इन लोगों ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है।
Source:- इकनॉमिक टाइम्स, हिंदी New Delhi 22 April 2008 P. 16

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